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Friday, 9 March 2018

सूचना का अधिकार 2005 (भाग - 1)


प्रत्‍येक लोक प्राधिकारी के कार्यकरण में पारदर्शिता और उत्तरदायित्‍व के संवर्धन के लिए, लोक प्राधिकारों के नियंत्रणाधी न सूचना तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए नागरिकों के सूचना के अधिकार का गठन करने और उनसे संबंधित या उनसे आनुषंगिक विषयों पर उपबंधा करने के लिए अधिनियम। 

भारत के संविधान के लोकतंत्रात्‍मक गणराज्‍य की स्‍थापना की है। 

और लोकतंत्र शिक्षित नागरिक वर्ग तथा ऐसी सूचना की पारदर्शिता की अपेक्षा करता है, जो उसके कार्यकरण तथा भ्रष्‍टाचार को रोकने के लिए भी और सरकारों तथा उनके परिकरणों को शासन के प्रति उत्‍तरदायी बनाने के लिए अनिवार्य है, 

और वास्‍तविक व्‍यवहार में सूचना के प्रकटन से संभवत: अन्‍य लोक हितों, जिनके अंतर्गत सरकारों के दक्ष प्रचालन, समिति राज्‍य वित्‍तीय संसाधनों के अधिकतम उपयोग और संवेदनशील सूचना की गोपनीयता को बनाए रखना भी है, के साथ हो सकता है, 

और लोकतंत्रात्‍मक आदर्श की प्रभुता को बनाए रखते हुए इन विरोधी हितों के बीच सामंजस्‍य बनाना आवश्‍यक है, 

अत: अब यह समीचीन है कि ऐसे नागरिकों को, कतिपय सूचना देने के लिए, जो उसे पाने के इच्‍छुक हैं, उपलब्‍ध किया जाए। 

भारत गणराज्‍य के छप्‍पनवें वर्ष में संसद द्वारा अग्रलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :- 

(Word Count - 191)

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