दुनिया भर में आज पौध संवर्धक फसलों के जंगली सम्बंधियों पर खासा ध्यान दे रहे हैं। कारण यह है कि इन्हीं जंगली सम्बंधियों के बल पर हम फसलों की ऐसी नई किस्में तैयार करने की उम्मीद कर सकते हैं जो जलवायु परिवर्तन का सामना कर सकें। दरअसल फसल सुधार की दृष्टि से फलों के ये जंगली सम्बंधी ही सबसे महत्वपूर्ण जिनेटिक संसाधन हैं। मगर इस संसाधन की हालत पतली है और यह चिंता का विषय है।
हाल ही में तैयार की गई एक रिपोर्ट दर्शाती है कि बीच बैंकों में दुनिया भर की 29 अति महत्वपूर्ण फसलों के जंगली सम्बंधी पौधों का संरक्षण ठीक से नहीं हो रहा है। फसलों से 455 जंगली सम्बंधियों के एक विश्व व्यापी अध्ययन में पता चला है कि 54 प्रतिशत तो जीन बैंक में मौजूद ही नहीं हैं। इनमें से कई तो विलुप्त होने की कगार पर हैं।
उक्त निष्कर्ष कोलंबिया स्थित अंतर्राष्ट्रीय कटिबंधीय कृषि केंद्र द्वारा जारी किए गए हैं। इस रिपोर्ट में एक नक्शा भी दिया गया है जिसके आधार पर फसलों के जंगली सम्बंधियों के संरक्षण की प्राथमिकतांए तय की जा सकती हैं। इस अध्ययन में आलू, सेब, गाजर और सूरजमुखी जैसी कई फसलों को शामिल किया गया है जिनके जंगली सम्बंधियों का संग्रह बहुत अधिक नहीं किया गया है। दूसरी ओर, ज्वार और केले जैसी कुछ फसलें ऐसी भी हैं जिनके जंगली सम्बंधी बहुत कम हैं।
कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां कृषि की शुरूआत हुई थी मगर आज यहां उन फसलों के जंगली सम्बंधियों का संग्रह न के बराबर है। इनमें सायप्रस, तुर्की, बोलीविया और भारत शामिल हैं। इनके अलावा उत्तरी ऑस्ट्रेलिया और पूर्वी यूएस में भी कोई प्रजातियों के संरक्षण की जरूरत है।
अंतर्राष्ट्रीय कटिबंधीय कृषि केंद्र के शोधकर्ताओं ने उक्त जानकारी के लिए दो सालों तक विभिन्न बीच बैंकों, हर्बेरियम और संग्रहालयों में मौजूद प्रजातियों के आंकड़ों का उपयोग किया है। इसके अलावा उन्होंने यह भी देखा कि कोई किस्म प्राकृतिक परिवेश में कब देखी गई। इन सबके आधार पर उन्होंने उन फसल प्रजातियों की पहचान की जिनके संरक्षण को तत्काल प्राथमिकता देने की जरूरत है। इस साल के अंत तक वे 60 अन्य प्रजातियों के बारे में भी ऐसा विश्लेषण पूरा कर लेंगे।
शोधकर्ताओं का मत है कि इन जंगली किस्मों का संरक्षण बीज-जीन बैंकों के साथ-साथ प्राकृतिक परिवेश में भी करने की जरूरत है। इनके प्राकृतवासों के विनाश के चलते ही इनके अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है।
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