आजीवन कारावास के दंडादेश का लघुकरण – हर मामले में जिसमें आजीवन कारावास का दंडादेश दिया गया हो, अपराधी की सम्मति के बिना भी समुचित सरकार उस दंड को ऐसी अवधि के लिए, जो 14 वर्ष से अधिक न हो, दोनों में से किसी भांति के कारावास में लघुकृत कर सकेगी।
दंडादिष्ट कारावास के कतिपय मामलों में संपूर्ण कारावास या उसका कोई भाग कठिन या सादा हो सकेगा – हर मामले में, जिसमें अपराधी दोनों में किसी भांति के कारावास से दंडनीय है, वह न्यायालय, जो ऐसे अपराधी को दंडादेश देगा, सक्षम होगा कि दंडादेश में यह निर्दिष्ट करें कि ऐसा संपूर्ण कारावास कठिन होगा, या यह कि ऐसा संपूर्ण कारावास सादा होगा।
जुर्माने की रकम – जहां कि वह राशि अभिव्यक्त नहीं की गई है जितनी तक जुर्माना हो सकता है वहां अपराधी जिस रकम में जुर्माना का दायी है, वह अमर्यादित है किंतु अत्यधिक नहीं होगी।
जुर्माना न देने पर कारावास का दंडादेश – कारावास और जुर्माना दोनों से दंडनीय अपराध के हर मामले में, जिसमें अपराधी करावास सहित या रहित, जुर्माना से दंडादिष्ट है।
तथा कारावास या जुर्माने अथवा केवल जुर्माने से दंडनीय अपराध के हर मामले में, जिसमें अपराधी जुर्माने से दंडाविष्ट हुआ है।
वह न्यायालय, जो ऐसे अपराधी को दंडाविष्ट करेगा, सक्षम होगा कि दंडादेश द्वारा निदेश दे कि जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने की दशा में, अपराधी अमुक अवधि के लिये कारावास भोगेगा जो कारावास उस अन्य कारावास के अतिरिक्त होगा जिसके लिये वह दंडादिष्ट हुआ है या जिससे वह दंडादेश के लघुकरण पर दंडनीय है।
जबकि कारावास और जुर्माना दोनों आदिष्ट किये जा सकते हैं, तब जुर्माना न देने पर कारावास की अवधि – यदि अपराध कारावास और जुर्माना दोनों से दंडनीय हो, तो वह अवधि, जिसके लिये जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने की दशा के लिये न्यायालय अपराधी को कारावासित करने का निदेश दे, कारावास की उस अवधि की एक-चौथाई से अधिक न होगी जो अपराध के लिये अधिकतम नियत है।
जुर्माना न देने पर किस भांति का कारावास दिया जाये – वह कारावास, जिसे न्यायालय जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने के लिये अधिरोपित करे, ऐसा किसी भांति का हो सकेगा, जिससे अपराधी को उस अपराध के लिये दंडाविष्ट किया जा सकता था।
जुर्माना न देने पर कारावास, जबकि अपराध केवल जुर्माना से दंडनीय हो – यदि अपराध केवल जुर्माने से दंडनीय हो तो वह कारावास, जिसे न्यायालय जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने की दशा के लिये अधिरोपित करे, सादा होगा और वह अवधि, जिसके लिये जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने की दशा के लिये न्यायालय अपराधी को कारावासित करने का निदेश दे, निम्न मापमान से अधिक नहीं होगी, अर्थात, - जबकि जुर्माने का परिणाम पचास रूपये से अधिक न हो तब दो मास से अनधिक कोई अवधि, तथा जबकि जुर्माने का परिमाण एक सौ रुपये से अधिक न हो तब चार मास से अनधिक कोई अवधि, तथा किसी अन्य दशा मे छह मास से अनधिक कोई अवधि ।
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