चुनाव आयोग द्वारा मतदान की तारीखों की घोषणा के साथ ही भारत में आम चुनाव (लोकसभा चुनाव) को रणभेरी बज उठी है। चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव की घोषणा कर देश में 16वीं लोकसभा के गठन की प्रक्रिया को प्रारंभ कर दिया है। देश में 16वीं लोकसभ के लिये कुल नौ चरणों में मतदान होगा। इसका पहला चरण 7 अप्रैल से शुरू होगा और अंतिम चरण 12 मई को होगा। 16 मई को पूरे देश में वोटों की गिनती कर परिणामों की घोषणा होगी। इस दिन भारत हो नहीं बल्कि दुनियाभर में लोगों की नजर विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के सियासी घटनाक्रम पर रहेगी। इस बार के चुनाव की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि पिछले लोकसभा चुनाव 2009 के मुकाबले 12 करोड़ से अधिक युवा मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे। इत तरह भारत में लोकसभा चुनाव 2014 के नौ चरणों के मतदान में 81 करोड़ से अधिक मतदाता अपने लिये नई सरकार के साथ-साथ अपने भविष्य की दिशा भी चुनेंगे। इस बार नोटा (नन ऑफ द अबव) का विकल्प भी मतदाओं के पास होगा यानि किसी भी प्रत्याशी को न चुनने का अधिकार भी अब आमजन के पास होगा। देश में चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से और निष्पक्ष रूप से सम्पन्न हो इसके लिये चुनाव आयोग पूरी तरह मुस्तैद है। यह चुनाव आयोग की निष्पक्षता का ही परिणाम है कि अन्य विकासशील देशों में तरह हमारे देश में चुनाव परिणामों पर सवाल नहीं उठाया जाता है। चुनाव की घोषणा के साथ ऐसे कई प्रश्न हमारे सामने हैं जिनका जवाब 16 मई को ही मिलेगा। मतदाताओं का फैसला सरम्परागत राजनीतिक दलों की हदों तक सिमटा होगा या वे नये विकल्पों के प्रति आकर्षित होंगे। लगभग 12 करोड़ नये युवा मतदाताओं का रुझान कितना प्रभावित करेगा।
भारत की जनता के सामने अतीत में जब भी गंभीर सवाल खड़े हुए हैं उन्होंने इनका जवाब परिपक्वता और समझादारी से दिया है। उन्होंने उपलब्ध विकल्पों के बची सर्वश्रेष्ठ का चुनाव किया है। यह हमारे मतदाताओं की बुद्धि कोशल का पिरणाम है कि भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था पर कभी भी आशंका के बादल नहीं छाये। भारतीय लोकतंत्र एक विश्वासीनय और जनप्रिय व्यवस्था के लिए जाना जाता है। भारत जैसे अन्य विकासशील देशों में लोगतांत्रिक व्यवस्था इतनी कामयाब नहीं हुई जितनी कि हमारे देश में है। अगर हम अपनी भाषायी, क्षेत्रीय, धार्मिक, नस्लीय एवं जातीय विभिन्नताओं पर गौर करें तो अपने देश की यह आधुनिकता शासन प्रणाली किसी चमत्कार से कम नहीं लगती और शायद यह हमारी पहचान भी है। 7 अप्रैल से 16 मई तक हम इसी अनूठे करिश्मे का नजारा एक बार फिर देखेंगे। भारत दुनिया का बड़ा प्रजातंत्र है और इतने विशाल देश में विश्वसनीय ढंग से निष्पक्ष चुनाव कराना आसान काम नहीं है, लेकिन ये हमारे लिय गौरव की बात है कि हर नये चुनाव के साथ हमारा लोकतंत्र और भी मजबूत होता गया है।
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