अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदायें :
मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये सन् 1966 में दो प्रसंविदायें की गईं जिन्हें ‘नागरिकों तथा राजनैतिक अधिकारों की अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा’ एवं ‘आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक अधिकारों की प्रसंविदा’ के नाम से जाना जाता है । यह दोनों प्रसंविदायें अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार बिल के भाग हैं ।
नागरिक तथा राजनैतिक अधिकारों की प्रसंविदा में जिन अधिकारों का उल्लेख किया गया है उनमें प्रमुख हैं –
(1) जीवन, सुरक्षा एवं स्वतंत्रता का अधिकार;
(2) विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार;
(3) विधि के समक्ष समानता का अधिकार;
(4) बलात श्रम एवं दासता से मुक्ति का अधिकार; आदि ।
जबकि अर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों की प्रसंविदा में वर्णित अधिकारों में –
(1) स्वतंत्रता का अधिकार;
(2) जीवन एवं समुचित जीवन यापन का अधिकार;
(3) काम की न्यायोचित दशाएं;
(4) शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य का अधिकार;
आदि प्रमुख हैं ।
इन प्रसंविदाओं में संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा दिनांक 16 सितम्बर, 1966 को अंगीकृत किया गया तथा सदस्य राष्ट्रों का व्यापक समर्थन मिला । मानवाधिकारों की क्रियान्विति की दिशा में इन प्रसंविदाओं को महान उपलब्धि माना जाता है ।
गृह मंत्रालय की अधिसूचना संख्या एस. ओ. 2397 (ई), दिनांक 18 सितम्बर, 2009 द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा अंगीकृत निम्नांकित अभिसमयों को केंद्रीय सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट किया गया है –
(1) महिलाओं के विरुद्ध सभी प्रकार के विभेदों को समाप्त करने पर अभिसमय; तथा
(2) बाल अधिकारों पर अभिसमय ।
यूरोपीय संधि :
मानवाधिकारों को विधिक स्वरूप प्रदान करने तथा व्यवहार में इन्हें प्रभावी रूप से लागू करने के लिये सन् 1950 में यूरोपीय देशों द्वारा की गई संधि का भी अपना अनूठा स्थान है । इस संधि के अंतर्गत यूरोपीय देशों की परिषद् द्वारा एक कमीशन तथा न्यायालय की स्थापना की गई । कमीशन का कार्य मानवाधिकारों के उल्लंघन विषयक मामलों की जांच करना तथा न्यायालय का कार्य उस पर निर्णय देना है । मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा को कार्यान्वित करने का यह एक महत्वपूर्ण प्रयास है ।
मानवाधिकार कोष :
मानवाधिकारों के क्रियान्वयन की दिशा में मानवाधिकार कोष की स्थापना का उल्लेख किया जाना प्रासंगिक होगा । 18 दिसम्बर, 1991 को संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा एक स्वैच्छिक मानवाधिकार न्यास कोष की स्थाना की घोषणा की गई । इस कोष में प्राप्त धनराशि का उपयोग गुलामी और दासता में पल रहे मानव समुदाय को उत्पीड़न से मुक्ति दिलाने तथा उन्हें समुचित संरक्षण प्रदान करने के लिये किया जाता है ।
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