जहाँ न्यायालयों की अधिकारिता की स्थानी सीमाएं अनिश्चित है वहाँ वाद के संस्थित किए जाने का स्थान – जहाँ यह अभिकथित किया जाता है कि यह अनिश्चित है कि कोई स्थावर संपत्ति दो या अधिक न्यायालयों में से किसी न्यायालय की अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर स्थित है वहाँ उन न्यायालयों में से कोई भी एक न्यायालय, यदि उसका समाधान हो जाता है कि अभिकथित अनिश्चिता के लिए आधार है, उस भाव का कथन अभिलिखित कर सकेगा और तब उस संपत्ति के संबंधित किसी भी वाद को ग्रहण करने और उसका निपटारा करने के लिए आगे कार्यवाही कर सकेगा, और उस वाद में उसकी डिक्री का वही प्रभाव होगा मानो वह संपत्ति उसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर स्थित हो :
परंतु यह तब जबकि वह वादा ऐसा है जिसके संबंध में न्यायालय उस वाद की प्रकृति और मूल्य की दृष्टि के अधिकारिता का प्रयोग करने के लिए सक्षम है ।
जहाँ उपधारा 1 के अधीन अभिलिखित नहीं किया गया है और किसी अपील या पुनरीक्षण न्यायालय के सामने या आक्षेप किया जाता है कि ऐसी संपत्ति के संबंधित वाद में डिक्री या आदेश ऐसे न्यायालय द्वारा किया गया था जिसकी वहाँ अधिकारिता नहीं थी जहाँ संपत्ति स्थित है वही अपील या पुनरीक्षण न्यायालय उस आक्षेप को तब तक अनुज्ञात नहीं करेगा जब तक कि उसकी राय न हो कि वाद के संस्थित किया जाने के समय उसके संबंध में अधिकारिता रखने वाले न्यायालय के बारे में अनिश्चितता के लिए कोई युक्तियुक्त आधार नहीं थ उसके परिणामस्वरूप न्याय की निष्फलता हुई है ।
शरीर या जंगम संपत्ति के प्रति किए गए दोषों के लिए प्रतिकर के लिए वाद – जहाँ वाद की शरीर या जंगम संपत्ति के प्रति किए गए दोष के लिए प्रतिकर के लिए है वहाँ यदि दोष एक न्यायालय की अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर किया गया था और प्रतिवादी किसी अन्य न्यायालय की अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर निवास करता है या कारबार करता है या अभिलाभ के लिए स्वयं काम करता है तो वाद वादी के विकल्प पर उक्त न्यायालयों में से किसी भी न्यायालय में संस्थित किया जा सकेगा ।
अन्य वाद वहाँ संस्थित किए जा सकेंगे जहाँ प्रतिवादी निवास करते हैं या वाद-हेतुक पैदा होता है – पूर्वोक्त परिसीमाओं के अधीन रहते हुए, हर वाद ऐसे न्यायालय में संस्थित किया जाएगा जिसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर :
(क) प्रतिवादी या जहाँ एक से अधिक प्रतिवादी है वहाँ प्रतिवादियों में से हर एक वाद के प्रारंभ के समय वास्तव में और स्वेच्छा से निवास करता है या कारबार करता है या अभिलाभ के लिए स्वयं काम करता है, अथवा;
(ख) जहाँ एक से अधिक प्रतिवादी है वहाँ प्रतिवादियों में से कोई भी प्रतिवादी वाद के प्रारंभ के समय वास्तव में और स्वेच्छा से निवास करता है या कारबार करता है या अभिलाभ के लिए स्वयं काम करता है, परंतु यह तब जबकि ऐसे अवस्था में या तो न्यायालय की इजाजत दे दी गई है या जो प्रतिवादी पूर्वोक्त रूप में निवास नहीं करने या कारबार नहीं करते या अभिलाभ के लिए स्वयं काम नहीं करते, वे ऐसे संस्थित किए जाने के लिए उपगत हो गए है, अथवा;
(ग) वाद-हेतुक पूर्णत: या भागत: पैदा होता है ।
(Word Count - 521)
(Word Count - 521)
No comments:
Post a Comment