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Saturday, 17 March 2018

Typing Dictation No :- 2 (45WPM)




पूरी न्‍यायिक प्रणाली के शीर्ष पर हमारा उच्‍चतम न्‍यायालय है। हर राज्‍य या कुछ राज्‍यों के समूह पर उच्‍च न्‍यायालय है। उनके अंतर्गत निचली अदालतों का एक समूचा तंत्र है। कुछ राज्‍यों में पंचायत न्‍यायालय अलग–अलग नामों से काम करते हैं, जैसे न्‍याय पंचायत, पंचायत अदालत, ग्राम कचहरी इत्‍यादि इनका काम छोटे और मामूल प्रकार के स्‍थानीय दीवानी और आपराधिक मामलों का निर्णय करना है। राज्‍य अलग–अलग कानून इन अदालतों का कार्यक्षेत्र निर्धारित करते हैं।

वे सभी मुकदमे जो उच्‍च न्‍यायालय सर्वोच्‍च न्‍यायालय के सम्‍मुख या निचली अदालतो के निर्णयों के विरुद्ध अपील के रूप में आते हैं, अपीलीय क्षेत्रधिकार के अंदर आते हैं, इसके अंतर्गत तीन तरह की अपीलें सुनी जाती है। 

(1) संवैधानिक मामलों में सर्वोच्‍च न्‍यायालय किसी राज्‍य के उच्‍च न्‍यायालय कि अपील तब सुन सकता है जब वह इस बात को प्रमाणित करे दे की इस मामले में कोई विशेष वैधानिक विषय है जिसकी व्‍याख्‍या सर्वोच्‍च न्‍यायालय में होना आवश्‍यक है, सर्वोच्‍च न्‍यायालय स्‍वमेव इसी प्रकार का प्रमाण-पत्र देकर अपील के लिए अनुमति दे सकता है। 

(2) फौजदारी अभियोग में सर्वोच्‍च न्‍यायलय में उच्‍च नयायालय के निर्णय अंतिम आदेश अथवा दंड के विरुद्ध अपील तभी की जा सकती है यद‍ि उच्‍च न्‍यायालय प्रमाणित करे कि इस पर निर्णय सर्वाच्‍च न्‍यायलय द्वारा दिया जाना आवश्‍यक है। 

(3) दीवानी मामलों में उच्‍च न्‍यायालय के निर्णय के विरुद्ध सर्वोच्‍च न्‍यायालय में अपील इस अवस्‍थाओं में हो सकती है (1) उच्‍चतम न्‍यायालय यह प्रमाणित करे कि विवाद का मूल्‍य 20000 रुपए से कम नहीं है, अथवा (2) मामला अपील के योग्‍य है, (3) उच्‍च न्‍यायलय स्‍वयं भी फौजदारी अदालतो को छोड़ कर अन्‍य किसी न्‍यायलय के विरुद्ध अपील करने की विशेष अनुमति दे सकता है।

संविधान ने सर्वोच्‍च न्‍यायलय को परामर्श संबंधि क्षेत्राधिकर भी प्रदान किया है। अनुच्‍छेद 143 के अनुसार यदि किसी समय राष्‍ट्रपति को प्रतीत हो कि विधि या त‍थ्‍य का कोई ऐसा प्रश्‍न उपस्थित हुआ है जो सार्वजनिक महात्‍व का है तो उक्‍त प्रश्‍न पर वह सर्वोच्‍च न्‍यायलय से परामर्श मांग सकता है। सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा दिए गए परामर्श को स्‍वीकार करना या न करना राष्‍ट्रपति की इच्‍छा पर निर्भर करता है। 

सर्वोच्‍च न्‍यायालय एक अभिलेख न्‍यायालय के रूप में कार्य करता है। इसका अर्थ है कि इसके द्वारा सभी निर्णयों को प्रकाशित किया जाता है तथा अन्‍य मुकदमों में उसका हवाला दिया जा सकता है। संविधान का अनुच्‍छेद 129 घोषित करता है कि सर्वोच्‍च न्‍यायालय अभिलेख न्‍यायालय होगा और उनको अपनी अवमानना के लिए दंड देने की शक्ति सहित ऐसे न्‍यायालय कि सभी शक्तियां प्राप्‍त होगी। 

मूल अधिकार के प्रर्वतन के लिए उच्‍चतम न्‍यायालसय तथा उच्‍च न्‍यायालय को रिट अधिकार प्राप्त है। अनुच्‍छेद 32 के तहत प्राप्त इस अधिकारिता का प्रयोग सर्वोच्‍च न्‍यायालय नागरिकों के मौलिक अधिकारों के हनन की स्थिति में राज्‍य के विरुद्ध उपचार प्रदान करने के लिए करता है।

(Word Count - 458)

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