सामान्य आशय को अग्रसर करने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य – जबकि कोई आपराधिक कार्य कई व्यक्तियों द्वारा अपने सब के सामान्य आशय करने में किया जाता है, तब ऐसी व्यक्तियों में से हर व्यक्ति उस कार्य के लिए उसी प्रकार दायित्व के अधीन है, मानो वह कार्य अकेले उसी ने ही किया हो।
जबकि ऐसा कार्य इस कारण आपराधिक है कि वह आपराधिक ज्ञान या आशय से किया गया है – जब कभी काई-कार्य, जो आपराधिक ज्ञान या आशय से किए जाने के कारण ही आपराधिक है, कई व्यक्तियों द्वारा किया जाता है, तब ऐसे व्यक्तियों में से हर व्यक्ति, जो ऐसे ज्ञान या आशय से उस कार्य में सम्मिलित होता है, उस कार्य के लिए उसी प्रकार दायित्व के अधीन है, मानो वह कार्य उस ज्ञान या आशय से अकेले उसी के द्वारा किया गया हो।
अंशत: कार्य द्वारा या अंशत: लोप द्वारा कारित परिणाम – जहां कही किसी कार्य द्वारा या किसी लोप द्वारा किसी परिणाम का कारित किया जाना या उस परिणाम को कारित करने का प्रयत्न करना अपराध है, वहां यह समझा जाता है कि उस परिणाम का अंशत: कार्य द्वारा और अंशत: लोप द्वारा कारित किया जाना वही अपराध है।
किसी अपराध को गठित करने वाले कई कार्यों में से किसी एक को करके सहयोग करना – जब कि कोई अपराध कई कार्यों द्वारा किया जाात है, तब जो कोई या तो अकेले या किसी अन्य व्यक्ति के साथ सम्मिलित होकर उन कार्यों में से कोई एक कार्य करके अपराध के किए जाने में साशय सहयोग करता है, वह उस अपराध को करता है।
आपराधिक कार्य में संपृक्त व्यक्ति विभिन्न अपराधों के दोषी हो सकेंगे – जहां कि कई व्यक्ति किसी आपराधिक कार्य को करने में लगे हुए या संपृक्त है, वहां वे उस कार्य के आधार पर विभिन्न अपराधों के दोषी हो सकेंगे।
‘स्वेच्छया’ – कोई व्यक्ति किसी परिणाम को ‘स्वेच्छया’ कारित करता है। जब वह उसे साधनों के द्वारा कारित करता है, जिनके द्वारा उसे कारित उसका आशय था या उन साधनों द्वारा कारित करता है जिन साधनों को काम में लाते समय वह यह जानता था, या यह विश्वास करने का कारण रखता था, कि उनसे उसका कारित होना संभाव्य है।
‘अपराध’ – इस धारा के खंड 2 और 3 में वर्णित अध्यायों और धाराओं के सिवाय ‘अपराध’ शब्द इस संहिता द्वारा दंडनीय की गई किसी बात का द्योतक है।
निर्वासन के प्रति निर्देश का अर्थ लगाना – 1 उपधारा 2 के और उपधारा 3 के उपबंधों के अध्यधीन किसी अन्य तत्समय प्रवृत्त विधि में, या किसी ऐसी विधि या किसी निरसित अधिनियमित के आधार पर प्रभावशील किसी लिखित या आदेश में ‘आजीवन निर्वासन’ के प्रति निर्देश का अर्थ लगाया जाएगा, कि वह ‘आजीवन कारावास’ के प्रति निर्देश है।
मृत्यु दंडादेश का लघुकरण – हर मामले में, जिसमें मृत्यु का दंडादेश दिया गया हो, उस दंड को अपराधी की सम्मति के बिना भी समुचित सरकार इस संहिता द्वारा उपबंधित किसी अन्य दंड में लघुकृत कर सकेगी।
(Word Count - 478)
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