मानवाधिकारों का अन्तर्राष्ट्रीय घोषणा पत्र –
मानवाधिकारों के वट वृक्ष की जड़ें अतीत की गहराइयों में छिपी हैं। इनके इतिहास की कहानी मानव सभ्यता के अभ्युदय एवं विकास से जुड़ी हुई है। यद्यपि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों की स्थापना का प्रथम दस्तावेज संयुक्त राष्ट्र चार्टर को माना जाता है लेकिन मूल अधिकारों के रूप में इसका श्रेय 1215 के मेग्नाकार्टा को जाता है। मेग्नाकार्टा से प्रवाहित मानवाधिकारों की गंगा आज अधिकांश लोकतांत्रिक देशों में प्रवाहित हो रही है।
मेग्नाकार्टा :-
मूल अधिकारों के रूप में मानवाधिकारों की स्थापना का प्रथम दस्तावेज इंग्लैंड का सन् 1215 का मेग्नाकार्टा माना जाता है। यह इंग्लैंडवासियों को सम्राट जॉन का एक महत्वपूर्ण उपहार था। इसे मूल अधिकारों का जनक भी कहा जाता है। यही वह अधिकार पत्र था जिसके द्वारा इंग्लैंड में विधि के शासन को मूर्त रूप प्रदान किया गया था। विधिक प्रत्यय ‘समुचित प्रक्रिया’ की उपज मेग्नाकार्टा की ही देन है। प्रथम बार मेग्नाकार्टा के अनुच्छेद 39 में यह व्यवस्था की गई कि – ‘किसी भी व्यक्ति को विधिपूर्ण न्याय निर्णयन अथवा देश की विधि से अन्यथा रूप से न तो बंदी बनाया जायेगा और न ही बेदखल, निर्वासित, विधि बाध्य अथवा विनिष्ट ही किया जायेगा। ‘इस प्रकार इस व्यवस्था द्वारा कार्यपालिका की निरंकुश शक्तियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
बिल ऑफ राइट्स –
मेग्नाकार्टा में विहित अधिकारों में देश, काल और परिस्थितियों के अनुसार अभिवृद्धि होती गई और कालान्तर में सन् 1689 में ‘बिल ऑफ राइट्स’ नामक दस्तावेज की संरचना की गई। इस दस्तावेज में नागरिकों के कई महत्वपूर्ण अधिकारों एवं स्वतंत्रताओं को समाहित किया गया। बिल ऑफ राइट्स का लाभ अमेरिका की जनता ने भरपूर उठाया। उसने अमेरिका के संविधान में इन अधिकारों को समाविष्ट करने की मांग की। परिणामस्वरूप अमेरिका के संविधान में पांचवे एवं छठे संशोधनों द्वारा इन अधिकारों को स्थान दिया गया और यह व्यवस्था की गई कि – ‘किसी भी व्यक्ति को सम्यक् विधिक प्रक्रिया के बिना जीवन, स्वतंत्रता एवं संपत्ति से वंचित नहीं किया जाएगा। ‘स्वतंत्रता के भाषण, प्रेम, धर्म, सभा, निवास, विचरण, व्यापार, वृत्ति, कारोबार आदि की स्वतंत्रतओं को सम्मिलित किया गया। ‘हर्टडो बनाम केलिफोर्निया’ के मामले में यह कहा गया कि – ‘विधायिका ऐसी कोई विधि नहीं बना सकेगी जो न्याय और स्वतंत्रता के मूलभूत सिद्धान्तों पर कुठाराघात करती हो।
फ्रांस का घोषणा पत्र –
फ्रांस में मानवाधिकारों के रूप में मूल अधिकारों की घोषणा सन् 1789 में की गई। जिस दस्तावेज द्वारा यह घोषणा की गई वह ‘मानव सिविल अधिकारों को घोषणा पत्र’ कहा जाता है। संक्षेप में इसे ‘मानव अधिकार घोषणा पत्र’ भी कहा जा सकता है। इसमें समाविष्ट अधिकारों को मनुष्य के पवित्र अधिकारों की संज्ञा दी गई है। यह अधिकार प्राकृतिक एवं असंक्रमणीय है।
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