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Thursday, 8 March 2018

भारतीय दंड संहिता 1860 (भाग - 1)


भारत के भीतर किए गए अपराधों का दंड – हर व्‍यक्ति इस संहिता के उपबंधों के प्रतिकूल हर कार्य या लोप के लिए जिसका वह भारत के भीतर दोषी होगा, इस संहिता के अधीन दंडनीय होगा अन्‍यथा नहीं। 

भारत से परे किए गए किंतु उसके भीतर विधि के अनुसार विचारणीय अपराधों का दंड – भारत से परे किए गए अपराध के लिए जो कोई व्‍यक्ति किसी भारतीय विधि के अनुसार विचारण का प्रात्र हो भारत से परे किए गए किसी कार्य के लिए उससे इस संहिता के उपबंधों के अनुसार ऐसा बरता (समंक्षा) जाएगा, मानो वह कार्य भारत के भीतर किया गया था। 

कुछ विधियों पर इस अधिनियम द्वारा प्रभाव न डाला जाना – इस अधिनियम में की कोई बात भारत सरकार की सेवा के ऑफिसरों, सैनिकों, नौसैनिकों या वायुसैनिकों द्वारा विद्रोह और अभित्‍यजन को दंडित करने वाले किसी अधिनियम के उपबंधों, या किसी विशेष या स्‍थानीय विधि के उपबंधों पर प्रभाव नहीं डालेगी। 

संहिता में की परिभाषाओं का अपवादों के अध्‍यधीन समझा जाना – इस संहिता में सर्वत्र अपराध की हर परिभाषा, हर दंड उपबंधा और हर ऐसी परिभाषा या दंड उपबंधा का हर दृष्‍टांत, ‘साधारण अपवाद’ शीषर्क वाले अध्‍याय में अंतर्विष्‍ट अपवादों के अध्‍यधीन समझा जाएगा, चाहे उन अपवादों को ऐसी परिभाषा, दंड उपबंधा या दृष्‍टांत में दुहराया न गया हो। 

न्‍यायाधीश – ‘न्‍यायाधीश’ शब्‍द न केवल हर ऐसे व्‍यक्ति का द्योतक होता है, जो पद रूप से न्‍यायाधीश अभिहित हो, किंतु उस हर व्‍यक्ति का द्योतक है, जो किसी विधि कार्यवाही में, चाहे वह सिविल हो या दांडिक, अंतिम निर्णय या ऐसा निर्णय, जो उसके विरुद्ध अपील न होने पर अंतिम हो जाए, या ऐसा निर्णय, जो किसी अन्‍य प्राधिकारी द्वारा पुष्‍ट किए जाने पर अंतिम हो जाए, देने के लिए विधि द्वारा सशक्‍त किया गया हो। 

न्‍यायालय – ‘न्‍यायालय’ शब्‍द उस न्‍यायाधीश का, जिसे अकेले ही का न्‍यायिकत: कार्य करने के लिए विधि द्वारा सशक्‍त किया गया हो, उस न्‍यायाधीश-निकाय का, जिसे एक निकाय के रूप में न्‍यायिकत: कार्य करने क लिए विधि द्वारा सशक्‍त किया गया हो, जब कि ऐसा न्‍यायाधीश या न्‍यायाधीश-निकाय न्‍यायिकत: कार्य कर रहा हो, द्योतक है।

(Word Count - 339)

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