राज्य सरकार, इस अधिनियम द्वारा ग्राम न्यायालय को प्रदत्त अधिकारिता और शक्तियों का प्रयोग करने के प्रयोजन के लिए, उच्च न्यायालय से परामर्श करने के पश्चात, अधिसूचना द्वारा, जिले में मध्यवर्ती स्तर पर प्रत्येक पंचायत या मध्यवर्ती स्तर पर निकटवर्ती पंचायतों के समूह के लिए या जहां किसी राज्य में मध्यवर्ती स्तर पर कोई पंचायत नहीं है वहां निकटवर्ती ग्राम पंचायतों के समूह के लिए एक या अधिक ग्राम न्यायालय स्थापित कर सकेगी । राज्य सरकार, उच्च न्यायालय के परामर्श के पश्चात, अधिसूचना द्वारा, ऐसे क्षेत्र की स्थानीय सीमाएं विनिर्दिष्ट करेगी, जिस पर ग्राम न्यायालय की अधिकारिता विस्तारित की जाएगी और किसी भी समय, ऐसी सीमाओं को बढ़ा सकेगी, कम कर सकेगी या परिवर्तित कर सकेगी । उपधारा 1 के अधीन स्थापित ग्राम न्यायालय तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन स्थापित न्यायालयों के अतिरिक्त होंगे । प्रत्येक ग्राम न्यायालय का मुख्यालय उस मध्यवर्ती ग्राम पंचायत के मुख्यालय पर जिसमें ग्राम न्यायालय स्थापित है या ऐसे अन्य स्थान पर अवस्थित होगा, जो राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाए । राज्य सरकार, उच्च न्यायालय के परामर्श से, प्रत्येक ग्राम न्यायालय के लिए एक न्यायाधिकारी की नियुक्ति करेगी ।
कोई व्यक्ति, न्यायाधिकारी के रूप में नियुक्त किए जाने के लिए तभी अर्हित होगा, जब वह प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त किए जाने के लिए पात्र हो । न्यायाधिकारी की नियुक्ति करते समय, अनुसूचित जातियों, अनुसचित जनजातियों, स्त्रियों तथा ऐसे अन्य वर्गों या समुदायों के सदस्यों को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा, जो राज्य सरकार द्वारा, समय-समय पर, अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट किए जाएं । न्यायाधिकारी को संदेय वेतन और भत्ते तथा उसकी सेवा के अन्य निबंध और शर्तें वे होंगी, जो प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट को लागू हों ।
न्यायाधिकारी ग्राम न्यायालय की उन कार्यवाहियों में पीठासीन नहीं होगा जिनमें उसका कोई हित है या वह विवाद की विषय-वस्तु के अन्यथा अंतर्विलित है या उसका ऐसी कार्यवाहियों के किसी पक्षकार से संबंध हैं और ऐसे मामले में न्यायाधिकारी मामले को, किसी अन्य न्यायाधिकारी को अंतरित किए जाने के लिए, यथास्थिति, जिला न्यायालय या सेशन न्यायालय को भेजेगा ।
न्यायाधिकारी अपनी अधिकारिता के अंतर्गत आने वाले ग्रामों का आवधिक रूप से दौरा करेगा और ऐसे किसी स्थान पर विचारण या कार्यवाहियाँ करेगा, जिसे वह उस स्थान के निकट समझता है जहाँ पक्षकार सामान्यता निवास करते हैं या जहाँ संपूर्ण वाद हेतुक या उसका कोई भाग उद्भूत हुआ है । परंतु जहाँ ग्राम न्यायालय अपने मुख्यालय से बाहर चल न्यायालय लगाने का विनिश्चय करता है वहाँ वह उस तारीख और स्थान के बारे में, जहाँ वह चल न्यायालय लगाने का प्रस्ताव करता है, व्यापक प्रचार करेगा ।
राज्य सरकार, ग्राम न्यायालय को सभी सुविधाएं प्रदान करेगी जिनके अंतर्गत उसके मुख्यालय के बाहर विचारण या कार्यवाहियाँ करते समय न्यायाधिकारी द्वारा चल न्यायालय लागाने के लिए वाहनों की व्यवस्था भी है ।
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