प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों से समाज के अंतिम छोर तक के व्यक्ति तक विज्ञान का लाभ पहुंचाने का आव्हान किया। मुंबई में 3 जनवरी को 102वीं विज्ञान कांग्रेस का उद्याटन करते हुए मोदी ने कहा कि विज्ञान की मदद से ही देश की गरीबी दूर की जा सकती है।
प्रधानमंत्री ने चीज के हालिया विकास का जिक्र करते हुए वैज्ञानिकों को सीधा संदेश दिया है कि प्रगति करने के लिए हमें चीन के नक्शे कदम पर चना होगा। चीन आज विश्व की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप के उभर चुका है। इसके पीछे उसकी सफलता का राज यह है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी उसने उसी तेजी से कार्य किया है।
विज्ञान कांग्रेस के सालाना जलसे को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि देश के गरीबी और भुखमरी दूर करने के लिए विज्ञान के प्रगति जरूरी है। यह एक बच्च को जीवित रखने के अवसर भी बढ़ाती है। यह हमें दुनिया में किसी भी कोने में अपने प्रिय से जोड़ती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विज्ञान कांग्रेस के सत्र के दौरान नोबेल विजेता वैज्ञानिकों और विदेशो में बसे भारतीय मूल के बड़े वैज्ञानिकों से आधे घंटे तक अनौचारिक बातचीत की। प्रधानमंत्री ने नोबेल विजेता एवं भारतीय मूल के वैज्ञानिकों को कहा कि जब युरोप और अमेरिका में सर्दी ज्यादा हो तब वे शोध के लिए नई दिल्ली में आएं। पिछले सौ सालों में डेढ़ सौ से ज्यादा नोबेज विजेता विज्ञान कांग्रेस में आ चुके हैं। प्रधानमंत्री हमेशा इस सालाना जलसे का उद्याटन करते हैं लेकिन नोबेल विजेताओं से पहली बार उन्होंने आधा घंटे तक बैठक की और विज्ञान एवं तकनीकी क्षेत्र में आगे बढ़ने के नुस्खों पर उनसे चर्चा की। मोदी की यह पहल नई है। इस बातचीत में पांच नोबेल विजेता और चार भारतीय मूल के विदेशी वैज्ञानिक शाामिल थे। जो नोबेल वैज्ञानिकों की बराबरी के स्तर के हैं।
श्री मोदी ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम पर भी चर्चा की। इन वैज्ञानिकों में ब्रिटेन के सर पॉल नर्स को 2001 में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला था। उनका शोध कैंसर से इलाज में सहायक है। इसी प्रकार 2013 का चिकित्सा का नोबेल पाने वाले अमेरिका के रैंडी डब्ल्यू शेकमैन ने कोशिकाओं की परिवाहन प्रणाली और उसके विनियमन के लिए मशीनरी पर शोध किया है। अन्य वैज्ञानिकों में स्विट्जरलैंड के कर्ट बुदरिक और इस्त्राइल की ऐडा ई योनाथ शामिल हैं। ऐडा को भारतीय मूल के रामकृष्ण वेंकटरमण और थॉमस स्टैज के साथ संयुक्त रूप से नोबेल मिला था। अन्य चार भारतीय मूल के वैज्ञानिकों में एबेल प्राइज विजेता एस.आर.एस. वर्धन, रोल्फ नेवानल्निना प्राइज विजेता सुभाष खोट, फील्ड मेडलिस्ट मंजुल भार्गव तथा रोल्फ नेवानल्न्निा प्राइज विजेता मधुसूदन शामिल हैं। इन वैज्ञानिकों को मोदी ने गोल्ड मेडल से सम्मानित किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि उत्पादन को बढ़ाए जाने की जरूरत है जो किफायती हो और लोगों के जीवन को बेहतर बना सके। उन्होंने कहा कि शिक्षा का विस्तार, स्वच्छ ऊर्जा एवं टिकाऊ आवास प्रदान करने में विज्ञान की भूमिका अहम है। लेकिन कभी-कभी विज्ञान असमानता बढ़ाने, पर्यावरण के लिए खतरा पैदा करने या जलवायु परिवर्तन जैसे खतरों के लिए भी जिम्मेदार है।
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