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Thursday, 8 March 2018

सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 (भाग :- 1)


न्‍यायालयों की अधीनस्‍थता – इस संहिता के प्रयोजनों के लिए, जिला न्‍यायायल उच्‍च न्‍यायालय के अधीनस्‍थ है और जिला न्‍यायालय से अवर श्रेणी का हर सिविल न्‍यायालय और हर लघुवाद न्‍यायालय, उच्‍च न्‍यायालय और जिला न्‍यायालय के अधीनस्‍थ है। 

व्‍यवृत्तियां  इकसे प्रतिकूल किसी विनिर्दिष्‍ट उपबंध के अभाव में, इस संहिता की किसी भी बात के बारे में यह नहीं समझा जाएगा कि वह किसी विशेष या स्‍थानीय विधि को, जो अब प्रवृत्त है या तत्‍समय प्रवृत्त किसी अन्‍य विधि द्वारा या उसके अधीन प्रदत्त किसी विशेष अधिकारिता या शक्ति को या विहित प्रक्रिया के किसी विशेष रूप को परिसीमित करती है या उस पर अन्‍यथा प्रभाव डालती है। 

उपधारा 1 में अन्‍तर्विष्‍ट प्रतिपादना की व्‍यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, इस संहिता की किसी भी बात के बारे में यह नहीं समझा जाएगा कि वह किसी ऐसे उपचार को परिसीमित करती है या उस पर अन्‍यथा प्रभाव डालती है, जिसे भू-धारक या भू-स्‍वामी कृषि-भूमि के भाटक की वसूली ऐसी भूमि की उपज से करने के लिए तत्‍समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन रखता है। 

संहिता का राजस्‍व न्‍यायालयों को लागू होना – जहां कोई राजस्‍व न्‍यायालय प्रक्रिया संबंधी ऐसी बातों में जिन पर ऐसे न्‍यायालयों को लागू कोई विशेष अधिनियमिति मौन है, इस संहिता से उपबंधों द्वारा शासित है वह राज्‍य सरकार राजपत्र में अधिसूचना द्वारा यह घोषणा कर सकेगी कि उन उपबंधों के कोई भी प्रभाग, जो इस संहिता द्वारा अभिव्‍यक्‍त रूप से लागू नहीं किए गए है, उन न्‍यायालयों को लागू नहीं होंगे या उन्‍हें केवल ऐसे उपान्‍तरों के साथ लागू होंगे जैसे राज्‍य सरकार विहित करे। 

उपधारा 1 में ‘राजस्‍व न्‍यायालय’ से ऐसा न्‍यायालय अभिप्रेत है जो कृषि प्रयोजनों के लिए प्रयुक्‍त भूमि के भाटक, राजस्‍व या लाभों से संबंधित वादों या अन्‍य कार्यवाहियों को ग्रहरण करने की अधिकारिता किसी स्‍थानीय विधि के अधीन रखता है किंतु ऐसे वादों या कार्यवाहियों का विचारण सिविल प्रकृति के वादों या कार्यवाहियों के रूप में करने के लिए इस संहिता के अधीन आरम्भिक अधिकारिता रखने वाला सिविल न्‍यायालय इसके अंतर्गत नहीं आता है। 

धन संबंधी अधिकारिता – अभिव्‍य‍क्‍त रूप से जैसा उपबंधित है उसके सिवाय, इसकी किसी बात का प्रभाव ऐसा नहीं होगा कि वह किसी न्‍यायायल को उन वादों पर अधिकारिता दे दे जिनकी रकम या जिनकी विषय-वस्‍तु का मूल्‍य उसकी मामूली अधिकारिता की धन संबंधी सीमाओं से (यदि कोई हो) अधिक है। 

प्रांतीय लघुवाद न्‍यायालय – उन न्‍यायालयों पर, जो प्रांतीय लघुवाद न्‍यायालय अधिनियम, 1887 (1887 का 9) के अधीन या बरार लघुवाद न्‍यायालय विधि, 1905 के अधीन गठित हैं, या उन न्‍यायालयों पर, जो लघुवाद न्‍यायालय की अधिकारिता का प्रयोग उक्‍त अधिनियम या विधि के अधीन करते हैं या भारत के किसी ऐसे भग के जिस पर उक्‍त अधिनियम का विस्‍तार नहीं है उन न्‍यायालयों पर, जो समरूपी अधिकारिता का प्रयोग करते हैं

(Word Count - 452)

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