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Monday, 2 April 2018

Typing Dictation No :- 5 (45WPM)




राज्‍य मुकदमा नीति के उद्देश्‍यक मुकदमों में भारी विचाराधीनता को समाप्‍त करता तथा मुकदमों का शीघ्र निस्‍तारण सुनिश्चित क‍रना है । उत्‍तर प्रदेश राज्‍य में मुकदमों की संख्‍या सर्वाधिक है इसे नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के उद्देश्‍य से एक जिम्‍मेदार वादी की भांति मुकदमों की पैरवी करनी चाहिए । राज्‍य के विरुद्ध दाखिल सभी सिविल मुकदमों में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 80 के अधीन या पंचायती राज अधिनियम की धारा 106 के अंतर्गत तथा अन्‍य परिनियमों के अंतर्गत एक विधिक नोटिस की आवश्‍यकता होती है । यदि नोटिस की प्राप्ति पर राज्‍य के संबंधित विभागों द्वारा सूक्ष्‍म रूप से वादी के दावों की जाँच की जाय और सही दावों को स्‍वीकार कर लिया जाये तो आगे के विवादों से बचा जा सकता है । दंड प्रक्रिया संहिता 1973 के अंतर्गत ‘समझौते के दलील’ के प्रावधान को समाविष्‍ट किया गया है और इसे आपराधिक मामलों के न्‍यायालयों में प्रोत्‍साहित किया जाना चाहिये । सेवा संबंधी मामलों में प्रशासनिक प्राधिकारियों द्वारा छोटे छोटे मामलों के संबंध में कर्मचारी के पक्ष में अनुकम्‍पा पूर्ण दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिये । राज्‍य के दंड न्‍यायालयों में छोटे-छोटे आपराधिक मामले भारी संख्‍या में लम्बित है, जिनके अभियोजन का समाज के लिये कोई उपयोग नहीं है । इस प्रकार के छोट-छोट आपराधिक मामलों को चिन्हित करने की आवश्‍यकता है और उन्‍हें वापस लेने का उन्‍हें छोड देने के लिए कार्यवाही आरम्‍भ करनी चाहिए । राज्‍य सरकार के विरुद्ध मामलों की पैरवी करने के लिए प्रत्‍येक विभाग के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्‍त किया जाना चाहिये । ऐसे अधिकारी को विधि के क्षेत्र में अनुभव प्राप्‍त होना चाहिये । मुकदमों के लिए विभाग के संबंधित पदाधिकारियों को उत्‍तरदायी बनाया जाना चाहिये । नोडल अधिकारियों तथा इस प्रकार के पदाधिकारियों को न्‍यायालयों की प्रक्रिया तथा कार्यविधि के संबंध में प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये । इस नीति में अंतर्निहित उद्देश्‍य न्‍यायालयों में सरकारी मुकदमों को कम करना भी है ताकि न्‍यायालय के कीमती समय को अन्‍य लम्बित मामलों का निपटारा करने में लगाया जा सके, जिससे कि विचाराधीनता के औसत समय को 15 वर्ष से घटाकर 3 वर्ष किये जाने के राज्‍य विधिक मिशन के लक्ष्‍य को प्राप्‍त किया जा सके । कल्‍याणकारी विधायन, समाज सुधार पर विशेष जोर देकर मुकदमों में प्राथमिकीकरण को अपनाना होगा और निर्बल वर्गों तथा वरिष्‍ट नागरिकों और अन्‍य वर्गों, जिन्‍हें सहायता की आवश्‍यकता है, को अनिवार्यत: अ‍त्‍याधिक प्राथमिकता प्रदान की जानी चाहिये । नोडल अधिकारियों की नियुक्ति सावधनी पूर्व की जानी चाहिये । इस नीति जिसमें एत्दपश्‍चात दिये गये निर्देश सम्मिलित है परंतु उन तक सीमित नहीं है, के समग्र तथा विनिर्दिष्‍ट कार्यान्‍वयन में नोडल अधिकारी की एक निर्णायक तथा महत्‍वपूर्ण भूमिका होती है । प्रत्‍येक मंत्रालय को उपयुक्‍त नोडल अधिकारी जो विधिक पृष्‍ठभूमि तथा सुविज्ञात रखता हो, की नियुक्ति करने की जिम्‍मेदारी के प्रति सतर्क होना चाहिये । उन्‍हें इस स्थिति में होना चाहिए कि वे मुकदमों को अति सक्रियता से संभाल सकें ।

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