किसी बात के निर्दोष प्रकाशन और वितरण का अवमान न होना – कोई व्यक्ति इस आधार पर कि उसने किसी ऐसी बात को चाहे बोले गए या लिखे गए शब्दों के द्वारा या संकेतों द्वारा या दुष्य रूपणों द्वारा या अन्यथा, प्रकाशित किया है जो प्रकाशन के समय लम्बित किसी सिविल या दांडिक कार्यवाही के संबंध में न्यायालय के अनुक्रम में हस्तक्षेप करती है या जिसकी प्रवृत्ति उसमें हस्तक्षेप करने की है अथवा जो उसमें बाधा डालती है या जिसकी प्रवृत्ति उसमें बाधा डालने की है, उस दशा में न्यायालय अवमान का दोषी नहीं होगा जिसमें उस समय उसके पास यह विश्वास करने के समुचित आधार नहीं थे कि कार्यवाही लम्बित थी । इस अधिनियम में या तत्समय प्रवृत्ति किसी अन्य विधि में किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी, किसी ऐसी सिविल या दांडिक कार्यवाही के संबंध में, जो प्रकाशन के समय लम्बित नहीं है, किसी ऐसी बात के प्रकाशन के बारे में, जो उपधारा 1 में वर्णित है, यह नहीं समझा जाएगा कि उससे न्यायालय अवमान होता है । कोई भी व्यक्ति इस आधार पर कि उसने ऐसा कोई प्रकाशन वितरित किया है जिसमें कोई ऐसी बात अंतर्विष्ट है जो उपधारा 1 में वर्णित है, उस दशा में न्यायालय अवमान का दोषी नहीं होगा जिसमें वितरण के समय उसके पास यह विश्वास करने के समुचित आधार नहीं थे कि उसमें यथापूर्वोक्त कोई बात अंतर्विष्ट थी या उसके अंतर्विष्ट होनी की सम्भावना थी ।
किसी सिविल या दांडिक कार्यवाही के मामले में तब तक लंबित बनी रही समझी जाएगी जब तक वह सुन नहीं ली जाती और अंतिम रूप से विनिश्चित नहीं कर दी जाती, अर्थात् उस मामले में जहाँ अपील या पुनरीक्षण हो सकता है, जब तक अपील या पुनरीक्षण को सुन नहीं लिया जाता और अंतिम रूप से विनिश्चित नहीं कर दिया जाता, या जहाँ अपील या पुनरीक्षण न किया जाए वहां जब तक उस परिसीमा-काल का अवसान नहीं हो जाता जो ऐसी अपील या पुनरीक्षण के लिए विहित है ।
न्यायिक कार्यवाही की उचित और सही रिपोर्ट अवमान न होना – धारा 7 में अंतर्विष्ट उपबंधों के अधीन रहते हुए, कोई भी व्यक्ति किसी न्यायिक कार्यवाही या उसके किसी प्रक्रम की उचित और सही रिपोर्ट प्रकाशित करने से न्यायालय अवमान का दोषी न होगा ।
न्यायिक कार्य की उचित आलोचना का अवमान न होना – कोई भी व्यक्ति किसी मामले के, जिसे सुन लिया गया है और अंतिम रूप से विनिश्चित कर दिया गया है, गुणागण पर उचित टीका-टिप्पणी प्रकाशित करने से न्यायालय अवमान का दोषी न होगा ।
चैम्बर में या बंद कमरे में कार्यवाहियों के संबंध में जानकारी के प्रकाशन का कुछ दशाओं के सिवाय अवमान न होना – इस अधिनियम में किसी बात के होते हुए भी, कोई व्यक्ति चैम्बर में या बंद कमरे में बैठे हुए न्यायालय के समक्ष किसी न्यायिक कार्यवाही की उचित और सही रिपोर्ट प्रकाशित करने से न्यायालय अवमान का दोषी न होगा ।
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so good sir
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