राज्यद्रोह, जो कोई बोले गए या लिखे गए शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा, दृश्यरूपण द्वारा या अन्यथा भारत में विधि द्वारा स्थापित सरकार के प्रति घृणा या अवमान पैदा करेगा, या पैदा करने का, प्रयत्न करेगा या अप्रीति प्रदीप्त करेगा या प्रदीप्त करने का प्रयत्न करेगा, वह आजीवन कारावास से जिसमें जुर्माना जोड़ा जा सकेगा या तीन वर्ष तक के कारावास से, जिसमें जुर्माना जोड़ा जा सकेगा या जुर्माने से दंडित किया जाएगा ।
स्पष्टीकरण – ‘’अप्रीति’’ पद के अंतर्गत अभक्ति और शत्रुता की समस्त भावनाएं आती हैं ।
स्पष्टीकरण – घृणा, अवमान या अप्रीति को प्रदीप्त किए बिना या प्रदीप्त करने का प्रयत्न किए बिना, सरकार के कामों के प्रति विधिपूर्ण साधनों द्वारा उसको परिवर्तित कराने की दृष्टि से अननुमोदन प्रकट करने वाली टीका-टिप्पणियां इस धारा के अधीन अपराध नहीं हैं ।
स्पष्टीकरण – घृणा, अवमान या अप्रीति को प्रदीप्त किए बिना या प्रदीप्त करने का प्रयत्न किए बिना, सरकार की प्रशासन या या अन्य क्रिया के प्रति अनुमोदन प्रकट करने वाली टीका-टिप्पणियां इस धारा के अधीन गठित नहीं करती ।
भारत सरकार से मैत्री संबंध रखने वाली किसी एशियाई शक्ति के विरूद्ध युद्ध करना । जो कोई भारत सरकार से मैत्री का या शांति का संबंध रखने वाली किसी एशियाई शक्ति की सरकार के विरूद्ध युद्ध करेगा या ऐसा युद्ध करने का प्रयत्न करेगा, या ऐसा युद्ध करने के लिए दुष्प्रेरण करेगा, वह आजीवन कारावास से, जिसमें जुमार्ना जोड़ा जा सकेगा या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिनका अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, जिसमें जुर्माना जोड़ा जा सकेगा या जुर्माने से दंडित किया जाएगा ।
जो कोई भारत सरकार से मैत्री का या शांति का संबंध रखने वाली किसी शक्ति के राज्यक्षेत्र में लूटपाट करेगा, या लूटपाट करने की तैयारी करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और वह जुर्माने से और ऐसी लूटपाट में लाई जाने के लिए आशयित, या ऐसी लूटपाट द्वारा अर्जित सम्पत्ति के समपहरण से भी दंडनीय होगा ।
धारा 125 और धारा 126 वर्णित युद्ध या लूटपाट द्वारा ली गई सम्पत्ति प्राप्त करना - जो कोई किसी सम्पत्ति को यह जानते हुए प्राप्त करेगा कि वह धारा 125 और धारा 126 में वर्णित अपराधों में से किसी के किए जाने में ली गई है वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और वह जुर्माने से और इस प्रकार प्राप्त की गई सम्पत्ति के समपहरण से भी दंडनीय होगा ।
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