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Thursday, 5 April 2018

Typing Dictation No :- 7 (45WPM)




अनेक संघीय शासन प्रणालियों में स्थित न्‍यायिक व्‍यवस्‍था के विपरीत भारत में एकल न्‍यायकि व्‍यवस्‍था है । इसे न्‍यायपालिका का एकीकृत रूप भी कहा जा सकता है । संविधान अधिनियम 1935 के अंतर्गत भारत में संघीय न्‍यायालय स्‍थापित किया गया था । यह पद्धति कुछ सीमित रूप से तभी स्‍थापित हो गई थी । किंतु उस समय भारत का सं‍घीय न्‍यायालय सर्वोच्‍च न्‍यायालय नहीं था क्‍योंकि इस न्‍यायालय कि विरुद्ध लंदन स्थित न्‍यायिक समिति को अपील की जा सकती थी । इन न्‍यायिक समितियों के निर्णय अंतिम होते थे । अब उच्‍चतम न्‍यायालय यथार्थ ही में सर्वोच्‍च है क्‍योंकि ऐसी कोई परिसीमित करने वाली शक्ति इसके पथ में नहीं है । उच्‍चतम न्‍यायालय भारत की न्‍यायिक व्‍यवस्‍था के शिखर पर है । इसके पास इस न्‍यायिक व्‍यवस्‍था के उचित संचालन तथा नियंत्रण करने के लिए सभी शक्तियाँ हैं । लोकतंत्रात्‍मक शासन प्रणाली के अभिन्‍न अंग के रूप में यदि एक उच्‍च न्‍यायिक स्‍तर प्राप्‍त करना चाहे तो इसके पास वे सभी शक्तियाँ हैं जिनके द्वारा यह सम्‍पूर्ण न्‍याय व्‍यवस्‍था को इस ओर संचालित कर सकता है ।

भारतीय न्‍यायिक व्‍यवस्‍था में शिखर पर उच्‍चतम न्‍यायालय है और प्रत्‍येक राज्‍य के लिए एक उच्‍च न्‍यायालय की व्‍यवस्‍था की गई है । संविधान में कार्यपालिका और व्‍यवस्‍थापित की तरह संघ और राज्‍यों के लिए दुहरी न्‍यायपालिका की व्‍यवस्‍था नहीं है प्रत्‍युत एक ही न्‍याय श्रृंखला संघ और राज्‍यों के कानूनों का प्रशासन करती है । इस एकल न्‍यायिक व्‍यवस्‍था ने भारत में न्‍यायिक क्षेत्राधिकार संबंधी एकता स्‍थापित कर दी है, साथ ही समूचे देश के लिए एकल न्‍यायिक संवर्ग की भी स्‍थापना कर दी है । यद्यपि वैधिक वर्ग से सीधे ही उच्‍चतम न्‍यायालय का न्‍यायाधीश नियुक्‍त करने के संबंध में कोई निषेध नहीं है तो भी अब तब ऐसी कोई नियुक्ति नहीं हुई है । अब तक उच्‍चतम न्‍यायालय में भी सभी नियुक्तियाँ भी अधिकतर निम्‍न न्‍यायालयों विशेषत: जिला एवं सत्र न्‍यायालयों दूसरे उच्‍च न्‍यायालय में न्‍यायाधीशों को स्‍थानान्‍तरित किया जा सकता है । उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा जारी किया गया एक लेख न केवल समूचे देश में केंद्रीय, राज्‍यीय तथा स्‍थानीय क्षेत्रों पर लागू होता है वरन् विधि के प्रत्‍येक क्षेत्र सांविधानिक, दीवानी, फौजदारी दंड आदि में लागू होता है ।

संगठन उच्‍चतम न्‍यायालय भारत का सर्वोच्‍च और अंतिम न्‍यायालय है । उच्‍चतम न्‍यायालय में एक मुख्‍य न्‍यायाधिपति और अधिक से अधिक 17 अन्‍य न्‍यायाधीश होंगे । इस प्रकार उच्‍चतम न्‍यायालय में मुख्‍य न्‍यायाधिपति को मिलाकर कुल 18 न्‍यायाधीश हैं । संविधान में वह निर्धारित नहीं किया गया है कि न्‍यायालय के न्‍यायाधीशों की न्‍यूनतम संख्‍या क्‍या होगी । किंतु अनुच्‍छेद 145 के अनुसार किसी संविधानिक विषय पर निर्णय देने के लिए कम से कम पांच न्‍यायाधीश होने चाहिए । इससे स्‍पष्‍ट है कि न्‍यायालय की संविधानिक पीठ में बैठने वाले न्‍यायाधीशों की संख्‍या कम से कम 5 अवश्‍य होनी चाहिए ।

(Word Count - 439)

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