यदि आप इस ब्‍लोग में हैं तब तो आप हिंदी टाइपिंग और डिक्‍टेशन से परिचित ही होंगे। यह ब्‍लोग उन सभी अभ्यार्थियों की सहायता के लिए प्रारंभ किया गया है जो हिंदी टाइपिंग के क्षेत्र में अपना भविष्‍य बनाना चाहते हैं। आप अपनी हिंदी टाइपिंग को अधिक शटीक बनाने के‍ लिए हिंंदी के नोट्स और डिक्‍टेशन की सहायता ले सकते हैं।
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Saturday, 7 April 2018

Typing Dictation No :- 8 (45WPM)




जब मुख्‍य न्‍यायाधीश का पद रिक्‍त हो या वह अनुपस्थिति के कारण अपने पद के कर्तव्‍यों का पालन करने में असमर्थ हों तो न्‍यायालय के अन्‍य न्‍यायाधीशों में से कोई एक, जिसे राष्‍ट्रपति नियुक्‍त करें, उसके कार्य को करेगा । यदि किसी समय न्‍यायालय के किसी सत्र के चालू रखने के लिए स्‍थायी न्‍यायाधीशों का अभाव हो तो मुख्‍य न्‍यायाधीश राष्‍ट्रपति की पूर्व सम्‍मति से किसी उच्‍च न्‍यायालय के न्‍यायाधीश को तदर्थ न्‍यायाधीश पद पर नियुक्‍त होने के लिए उच्‍चतम न्‍यायालय के न्‍यायाधीश नियुक्‍त होने की अर्हता रखनी चाहिये । ऐसे न्‍यायाधीश के सभी अधिकार, शक्तियाँ और विशेषाधिकार प्राप्‍त होंगे ।

उच्‍चतम न्‍यायालय के न्‍यायाधीशों को राष्‍ट्रपति नियुक्‍त कर सकता है । मुख्‍या न्‍यायाधिपति राष्‍ट्रपति द्वारा उच्‍चतम न्‍यायालय तथा राज्‍यों के उच्‍च न्‍यायालय के ऐसे न्‍यायाधीशों के परामर्श के पश्‍चात, जिसे राष्‍ट्रपति आवश्‍यक समझे, नियुक्‍त किया जायेगा । अन्‍य न्‍यायाधीशों की नियुक्ति राष्‍ट्रपति सर्वदा मुख्‍य न्‍यायाधीश के परामर्श से करेगा । वह उच्‍च न्‍यायालय के न्‍यायाधीशों से भी परामर्श कर सकता है । न्‍यायाधीश की नियुक्ति करने की राष्‍ट्रपति की शक्ति एक औपचारिक शक्ति है, क्‍योंकि वह इस मामले में मंत्रिमंडल की सलाह से कार्य करता है । न्‍यायाधीशों के स्‍थानान्‍तरण के मामले में उच्‍चतम न्‍यायालय की 7 न्‍यायाधिपतियों की पीठ ने एकमत से निर्णय दिया है कि परामर्श शब्‍द से तात्‍पर्य पूर्ण और प्रभावी परामर्श है अर्थात संबंधित न्‍यायाधीश के समक्ष सम्‍पूर्ण तथ्‍य रखे जाने चाहिये जिसके आधार पर किसी व्‍यक्ति को न्‍यायाधीश नियुक्‍त करने के लिये वह राष्‍ट्रपति को अपनी सिफारिश भेजेगा । किन्‍तु न्‍यायालय ने यह स्‍पष्‍ट रूप से कहा कि परामर्श को स्‍वीकार करने के लिए राष्‍ट्रपति बाध्‍य नहीं हैं । राष्‍ट्रपति अपना स्‍वयं निर्णय ले सकता है । न्‍यायालय ने ऐसा निर्णय देकर अपनी स्‍वतंत्रता और निष्‍पक्षता को कार्यपालिका को सौंप दिया है । इसी मामले में न्‍यायाधिपति श्री भगवती ने इस स्थिति पर चिंता व्‍यक्‍त करते हुए न्‍यायाधीशों की नियुक्ति के लिए एक न्‍यायिक समिति की नियुक्ति की बात पर जोर दिया था । जहाँ तक मुख्‍य न्‍यायाधिपति का प्रश्‍न है अनुच्‍छेद 124 के अंतर्गत राष्‍ट्रपति को संविधान द्वारा विहित अर्हता रखने वाले किसी भी व्‍यक्ति को मुख्‍य न्‍यायाधिपति नियुक्‍त करने की शक्ति प्राप्‍त है । किन्‍तु अन्‍य न्‍यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में राष्‍ट्रपित मुख्‍य न्‍यायाधीश से परामर्श लेने के लिए बाध्‍य है । अनुच्‍छेद 124 में इस बात का भी कोई उल्‍लेख नहीं किया गया कि उच्‍चतम न्‍यायालय के वरिष्‍ठतम न्‍यायाधीशों को ही मुख्‍य न्‍यायाधिपति नियुक्‍त किया जा सकता है । संविधान में ऐसी बाध्‍यता न होने के बावजूद प्रारंभ से ही उच्‍चतम न्‍यायालय के वरिष्‍ठतम न्‍यायाधीश को ही मुख्‍य न्‍यायाधिपति के पद पर नियुक्‍त करने की एक परम्‍परा चली आ रही थी । विधि आयोग ने सन 1956 में यह सुझाव दिया था कि मुख्‍य न्‍यायाधिपति की नियुक्ति केवल वरिष्‍ठता के आधार पर नहीं वरन न्‍यायाधीशों के गुण और उपयुक्‍तता के आधार पर की जानी चाहिये ।

(Word Count :- 448)

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