न्यायालय से किए गए वचनबंध के बारे में न्यायालय अवमान का दोषी पाया गया व्यक्ति, कोई कम्पनी है, वहां प्रत्येक व्यक्ति जो अवमान के किए जाने के समय कम्पनी के कारोबार के संचालन के लिए कम्पनी का भारसाधक और उसके प्रति उत्तरदायी थी, और साथ ही वह कम्पनी भी, अवमान के दोषी समझे जाएंगे और न्यायालय की इजाजत से, दण्ड का प्रवर्तन, प्रत्येक ऐसे व्यक्ति को सिविल कारागार में निरद्ध करके किया जा सकेगा ।
उपधारा (4) में किसी बात के होते हुए भी, जहां उसमें निर्दिष्ट न्यायालय अवमान किसी कम्पनी द्वारा किया गया है और यह साबित हो जाता है कि वह अवमान कम्पनी के किसी निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य अधिकारी की सम्मति अथवा मौनानुकूलता से किया गया है या उसकी किसी उपेक्षा के कारण हुआ माना जा सकता है, वहां ऐसा निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य अधिकारी भी उस अवमान का दोषी समझा जाएगा और न्यायालय की इजाजत से, दण्ड का प्रवर्तन, उस निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य अधिकारी को सिविल कारागार में निरुद्ध करके किया जा सकेगा ।
न्यायालय, न्यायालय अवमान के लिए किसी कार्यवाही में, किसी विधिमान्य प्रतिरक्षा के रूप में सत्य द्वारा न्यायानुमत की अनुज्ञा दे सकेगा यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि वह लोकहित में है और उक्त प्रतिरक्षा का आश्रय लेने के लिए अनुरोध सद्भाविक है ।
जहां अवमान उच्चतम न्यायालय या किसी उच्च न्यायालय के सन्मुख है वहां प्रक्रिया – जब यह अभिकथित किया जाता है या उच्चतम या उच्च न्यायालय को अपने अवलोकन पर यह प्रतीत होता है कि कोई व्यक्ति उसकी उपस्थिति में या उसके सुनते हुए किए गए अवमान का दोषी है तब वह न्यायालय ऐसे व्यक्ति को अभिरक्षा में निरुद्ध कर सकेगा और न्यायालय के उठने से पूर्व उसी दिन किसी भी समय या उसके पश्चात ऐसे साक्ष्य लोने के पश्चात जो आवश्यक हो या जो ऐसे व्यक्ति द्वारा दिया जाए और उस व्यक्ति को सुनने के पश्चात, चाहे तत्काल या स्थगन के पश्चात, आरोप के मामले का अवधारण करने के लिए अग्रसर होगा ।
उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, जहां कोई व्यक्ति जिस पर उस उपधारा के अधीन अवमान का आरोप लगाया गया है, चाहे मौखिक रूप से या लिखित रूप से, आवेदन करता है कि उसके विरुद्ध आरोप का विचारण उस न्यायाधीश या उन न्यायाधीशों से, जिसकी या जिनकी उपस्थिति में या जिसके या जिनके सुनते हुए अपराध का किया जाना अभिकथित है, भिन्न किसी न्यायाधीश द्वारा किया जाए और न्यायालय की राय है कि ऐसा करना सत्य है और आवेदन को उचित न्याय प्रशासन के हित में मंजूर किया जाना चाहिए तो वह उस मामले को, मामले के तथ्यों के कथन सहित मुख्य न्यायमूर्ति के समक्ष ऐसे निदेशों के लिए रखवाएगा जिन्हें वह उसके विचारण की बाबत जारी करना ठीक समझे ।
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